एक बार एक व्यक्ति कहीं जा रहा था | रास्ते में उसने रसीले पके आमों का एक बाग देखा | देखने का काम आँख ने किया | वह व्यक्ति चलकर आम के पेड़ के पास पहुंचा | चलने का कार्य पैरों ने किया | लेकिन पैर आम नहीं तोड़ सकते | आम तोड़ा हाथ ने | हाथ खा नहीं सकता | खाया और स्वाद चखा मुंह (जिह्वा) ने | मुंह अपने पास नहीं रख सकता उसे भेजा पेट के पास |
उसी समय बाग का मालिक देख लिया और एक मोटा सा डंडा लेकर पीछे से आया और पीठ पर जोर से लगाया | पीठ का आम खाने में कोई योगदान नहीं था लेकिन मार उसे पड़ी | जब मार पड़ी तो रोया कौन? रोया वापिस आँख ने जो देखने की गलती किया था |
शिक्षा: इंसान को अपने कर्म का फल अवश्य मिलता है | हो सकता है उस दौरान कुछ निर्दोष लोगों को भी नुकसान हो जाये जैसे पीठ को हुआ |
आपका
विनय कुमार