Wednesday, April 14, 2021

आज का ज्ञान

कहते हैं दुःख की पराकाष्ठा के बाद सुख का आगमन होता है| लेकिन 2020 के बाद तो 2021 आ गया| टीवी और समाचार पत्रों में कोरोना से दिन प्रतिदिन भयावह होती स्थिति के समाचार भरे पड़े हैं| कहीं अस्पताल में बिस्तर नहीं मिल रहा तो कहीं ऑक्सीजन की कमी है| कहीं मृतकों को जलाने के लिए लकड़ी नहीं है तो कहीं श्मशान में घंटों का इन्तेजार है| ट्विटर पर अभी अभी पढ़ा की कवि कुमार विश्वास के परिचित एक व्यक्ति को गुडगाँव में अस्पताल में बेड नहीं मिल रहा है| महाराष्ट्र के चंद्रपुर में एक बेटा अपने पिता को लेकर दो दिनों से अस्पतालों के चक्कर लगा रहा है लेकिन सभी अस्पताल भरे पड़े हैं| पिता की तड़प बेटे से देखी नहीं जा रही, उसने डॉक्टर से कहा की या तो भर्ती करो या इंजेक्शन देकर मार दो| वर्तमान समस्या के ये मात्र कुछ उदाहरण हैं| शायद ऐसे और भी कई लोग होंगे जो ऐसी समस्या से जूझ रहे हैं| समस्या बड़ी है और स्थिति अच्छी नहीं है| ये सही बात है की हमने लापरवाही की है और हमें सजा भुगतनी है| एक साल में हमने शायद कुछ नहीं सिखा| लेकिन ऐसी स्थिति में क्या किया जाये? क्या जीना छोड़ दें? जीने की उम्मीद छोड़ दें? क्या घर से बाहर नहीं निकलें? नौकरी कैसे चलेगी? मन में उथल पुथल मची रहती है| कुछ साथी, दोस्त, रिश्तेदार कोरोना की चपेट में आ गए हैं| कल को हम भी हो सकते हैं| ऐसे में हम अपने आप को इस परिस्थिति के लिए कैसे तैयार करते हैं यह महत्वपूर्ण बात है| ठीक है, समस्याएं हैं तो एक दिन ख़त्म भी होगी| यदि सोचें की 99% से अधिक लोग कोरोना से ठीक हो रहे हैं तो लापरवाही शुरू| यदि सोचें की हम भी इस समस्या में हो सकते हैं तो डर शुरू| डर से हमारे अन्दर भय उत्पन्न होता है जिससे हम ठीक प्रकार से सोच विचार नहीं कर पाते| लापरवाही और डर के बीच संतुलन बनाना कठिन है | तो हम क्या करें? सबसे पहले सोचें की हम इस परिस्थिति में सर्वश्रेष्ठ क्या कर सकते हैं? उत्तर यही है की संक्रमण से बचाव के जितने उपाय हो सकते हैं हमें करना चाहिये, करना ही चाहिए| यदि संक्रमित हो गए हैं तो ठीक होने के लिए जो भी डॉक्टर की सलाह है उसपर अमल करते हुए स्वस्थ होने का प्रयास कर सकते हैं, करना हीं चाहिए| इस दौरान बहुत आवश्यक है की हम अपना मनोबल बनाये रखें और सकारात्मक बने रहें| मुझे साँस लेने में समस्या है इसलिए मास्क नहीं पहन सकते जैसी अनावश्यक दलीलों से बचें| अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक रहें| ताज़ा और अच्छा खाना खाएं| कुछ समय व्यायाम के लिए जैसे दौड़ना, पैदल चलना इसके लिए निकालें| कल मैंने कहीं देखा की मुंह से बलून फुलाना भी फेफड़े के लिए एक अच्छा व्यायाम है, आसान है, कर सकते हैं| अच्छे और सकारात्मक लोगों के संपर्क में रहें| जिंदगी में कुछ नया करते रहें जैसे मैंने आज ये उपदेशात्मक लेख ही लिख दिया| प्रकृति के सभी जीव जंतुओं में मुस्कुराने का गुण सिर्फ इंसानों में है इसलिए मुस्कुराइए| यह आपका अधिकार भी है और कर्तव्य भी| ज्यादा न सोचें, सावधान रहें और गुनगुनायें: कल खेल में हम हों न हों, गर्दिश में तारे रहेंगे सदा|........... जीना यहाँ मरना यहाँ, इसके सिवा जाना कहाँ| धन्यवाद|

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