Wednesday, May 26, 2021

कोरोना बीमारी का व्यक्तिगत अनुभव

लूडो के सांप सीढ़ी खेल में एक सांप 99 पर होता है| 1 से 98 तक बचते बचाते गए और 99 वाला सांप आपको डस ले तो कैसा लगता है? बिलकुल वैसा ही मेरे साथ कोरोना को लेकर हुआ| जनवरी 2020 में कोरोना भारत में आया| अन्य लोगों की तरह मैं भी सावधानी वरतने लगा| घर से कम बाहर निकलना, घर से बाहर जाने पर मास्क लगाना, sanitizer का उपयोग करना, लोगों से दूरी बनाना, बाहर से घर आने पर नहाना इत्यादि| मैं स्वास्थ्य के प्रति भी सावधान हो गया| लगभग नियमित व्यायाम करना, अच्छा घर का खाना खाना इत्यादि दैनिक जीवन का हिस्सा हो गए| मार्च 2021 में परिवार के साथ वैष्णो देवी घुमने भी गया| संक्रमण कम होने लगे थे| मार्च में पत्नी बिहार चली गयी| वहां उनका इलाज हो रहा था| उसी के सिलसिले में मुझे भी 20 अप्रैल को घर जाना हुआ| सुरक्षा को देखते हुए हवाई यात्रा की| अगले दिन पत्नी के साथ बिहार शरीफ अस्पताल गया| दिन भर वहां रहना पड़ा| शायद अस्पताल में कोरोना मरीज भी थे| मेरी पत्नी को कोरोना नहीं किसी अन्य बीमारी का इलाज चल रहा था| पुरे दिन N95 मास्क लगाये रखा| उसके बाद घर गया| अगले कुछ दिनों तक ठीक ठाक रहा तो मेरा भरोसा बढ़ गया की यात्रा भी कर ली अस्पताल भी हो आया लेकिन सुरक्षित बचा रहा| 25 मार्च को मेरे बड़े साले साहब का जन्मदिन था| मेरी पत्नी की इच्छा थी की इसबार समीर का जन्मदिन ठीक से मनाया जाये| हमलोग केक और अन्य सामग्री खरीदकर ले गए| रात में मैं धर्मेन्द्र जी और रवि भाई साथ में खाना खाए| अगले दिन यानी 26 अप्रैल को वापस हम ससुराल से अपने घर आ गए| अगले दिन यानी 27 अप्रैल को मुझे शरीर थोडा गर्म महसूस हुआ| थर्मामीटर से देखा तो 99.5 डिग्री था| बुखार हल्का था लेकिन मैंने हलके में लेने का मन नहीं बनाया| शाम को हीं गांव के डॉक्टर से दवाई ले ली| सोचा अगले दिन से और serious इलाज लेंगे| शाम में बुखार बना रहा| अगले दिन सुबह बुखार 100.5 डिग्री था| मैंने धर्मेन्द्र जी से बात की किसी डॉक्टर के लिए लेकिन उन्होंने whatsapp पर दवाई की एक पर्ची दिए जिसे कोरोना मरीजों के लिए किसी बड़े डॉक्टर ने लिखा था| साथ में भाप लेना और गरम पानी पीना जारी रहा| 5 दिन की दवाई लेकर घर आ गया| 28 अप्रैल से दवाई खाने लगा| 5 दिनों का खुराक था| प्रतिदिन दवाई लेने से बुखार उतर जाता लेकिन वापस सुबह शाम में 99 से 100 के आसपास रहता| कभी कभी 101 भी होने लगा| एक दिन 102 डिग्री बुखार भी हुआ| थोड़ी खांसी भी हो रही थी| कमजोरी बहुत हो गया था | कुर्सी पर बैठने से भी चक्कर आने लगते थे| डॉक्टर की सलाह पर 5 दिंनों के बाद दवाई बंद कर दिया| उसके अगले दिन बुखार दिन भर रहा| सीने में जकडन जैसी महसूस होने लगी| साँस लेता तो घर्र घर्र की आवाज आती| ऐसा लगता था की स्वांस नाली में कुछ अटक रहा है| शाम होते होते समस्या ज्याद बढ़ गयी| साँस लेने में तकलीफ होने लगी| उल्टा लेटकर प्रोनिंग position में 3 घंटे रहा| मुझे थोडा होश कम रहने लगा| कुछ सोच समझ नहीं पा रहा था| मेरी पत्नी, बड़ी और मंझली दीदी एवं बड़े जीजाजी मेरे साथ थे| पत्नी ने अपने जीजाजी (नितीश जी) जो डॉक्टर हैं उनको फ़ोन लगाया| नहीं बात होने पर उसने अपने पापा को फोन लगाया| लगभग रोते हुए हाल बताये| वह बिलकुल घबरा गयी थी| अगले दिन सुबह उनसे बात हुई| उन्होंने चल रहे दवाई को अगले 5 दिन और बढ़ाने एवं कुछ और दवाई लेने की सलाह दिए| मैं स्वयं बड़े जीजाजी के साथ बिहार शरीफ जाकर दवाई ले आया| अगले दिन से मुझे रहत मिलनी शुरू हो गयी| बुखार नहीं आया| अगले दिन धर्मेन्द्र जी pulse oxymeter लेकर आये| उसपर देखा तो ऑक्सीजन लेवल 95-97 % तक था| 29 तारीख को कोरोना की जाँच करवाया था उसका रिपोर्ट भी नेगेटिव आया| दो दिन के बाद बुखार की दवाई बंद कर दी| बाकी दवाई 5 दिनों तक ले ली| अब बस कमजोरी रह गयी थी और थोड़ी खांसी| 14-15 दिनों के बाद ऐसा लगा की मैं स्वस्थ हो गया हूँ| 16 मई को वापस चित्तौड़ अपने काम पर लौट आया| इस दौरान मैंने महसूस किया की मेरे जीजाजी और दीदी हमेशा मेरे साथ रहे| उन्होंने हमेशा कहा की कुछ नहीं होगा, मामूली बुखार है तुम ठीक हो जाओगे| हमेशा मेरे कमरे में हीं बैठे रहते | इससे मुझे अकेलापन महसूस नहीं हुआ| पत्नी तो खैर बहुत हिम्मत के साथ लडाई में साथ दी| उन्हें भी खांसी होने लगा| कमजोरी भी महसूस की | डॉक्टर ने कहा की उन्हें भी कोरोना की दवाई लेनी चाहिए| मैंने 3 दिन तक उन्हें भी दवाई दी| वो जल्दी ठीक हो गयीं| कोरोना होने के वावजूद हमेशा मेरे कमरे में हीं रही| स्वयं बीमार होने के वावजूद घर का सारा काम खाना बनाना, साफ़ सफाई सब करती रही| मधुमिता जी हमेशा सुबह शाम फोन करके हाल चल पूछती थी| उनसे बात करके एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता था| हिमांशु, गोल्डन, अरविंद जैसे दोस्त whatsapp पर पल पल की खबर लेते रहते| क्या खाया, किस महसूस हो रहा है, स्वाद है की नहीं, गंध आ रही है या नहीं, कमजोरी कितना है वगेरह वगेरह| जल्दी ठीक होने और कमजोरी दूर करने में खान पान का महत्त्व रहा| मैं 1 किलो दूध रोजाना पिने लगा, उसके साथ होर्लिक्स, च्यवनप्राश, काजू, बादाम, अंडे, मछली, मटन सब खाया| पत्नी थोड़ी थोड़ी देर में कुछ न कुछ खाने के लिए लेकर आ जाती| इतना खाया की मेरा वजन 2 किलो बढ़ गया| सभी के सहयोग से मैं ठीक तो हो गया हूँ लेकिन अपनों का प्यार और सहयोग हमेशा याद रहेगा|

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